एक संवाददाता
डिब्रूगढ़: अरुणाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, एनएससीएन ने एक बार फिर चुनाव प्रक्रिया में दखल देना शुरू कर दिया है।
खुफिया एजेंसियों को कथित तौर पर एक दस्तावेज़ हाथ लगा है जिसमें संगठन ने अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग ज़िले के वक्का, पोंगचाऊ, खाकम और लोंगचान हलकों के ग्रामीणों को 'सत्तारूढ़ सरकार और पार्टी' के अलावा किसी अन्य पार्टी के उम्मीदवार न उतारने का 'निर्देश' जारी किया है। स्वयंभू मेजर जनरल शाहकोई द्वारा जारी इस आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर कोई इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके ख़िलाफ़ 'कड़ी कार्रवाई' की जाएगी और 20 लाख रुपये का 'जुर्माना' लगाया जाएगा।
इस फरमान ने क्षेत्र में हलचल मचा दी है और कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केटी परनाइक से भी इस मामले को उठाया है और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उनसे हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों (टीसीएल क्षेत्र) के बाहर के उग्रवादी संगठनों का हस्तक्षेप कोई नई बात नहीं है। अतीत में ऐसे कई उदाहरण रहे हैं जब टीसीएल क्षेत्र के बाहर के उग्रवादी अरुणाचल प्रदेश की चुनाव प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल हुए हैं। इससे रक्तपात भी हुआ था, जिसमें मई 2019 में मौजूदा विधायक तिरोंग अबो और उनके परिवार के 10 सदस्यों व सहयोगियों की हत्या सबसे जघन्य थी।