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गुवाहाटी: देबब्रत सैकिया ने आरटीआई कानून को कमजोर करने के लिए भाजपा पर निशाना साधा

असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 को जानबूझकर कमजोर करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कड़ी आलोचना की है

Sentinel Digital Desk

गुवाहाटी: असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 को जानबूझकर कमजोर करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कड़ी आलोचना की है। रविवार को राजीव भवन में मीडिया को संबोधित करते हुए सैकिया ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष 23,000 से अधिक आरटीआई मामले लंबित हैं, जो मुख्य रूप से सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों के कारण हैं।

उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर कोविड-19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने का आरोप लगाया, जिसमें पीएम केयर्स फंड में दान का खुलासा नहीं होने और चुनावी बॉन्ड विवरण प्रकाशित नहीं होने का हवाला दिया गया। सैकिया ने जोर देकर कहा कि इन कार्रवाइयों ने "जनता के विश्वास को कम किया है और नागरिकों के जानने के अधिकार को कमजोर किया है।

तत्काल सुधारों का आह्वान करते हुए सैकिया ने 2019 के आरटीआई (संशोधन) अधिनियम को निरस्त करने की मांग की, जिसके कारण उन्होंने तर्क दिया कि सूचना आयुक्तों की स्वतंत्रता में कटौती की गई है। उन्होंने कहा, 'भ्रष्टाचार मुक्त और जवाबदेह प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए आरटीआई कानून के मूल प्रावधानों को बहाल किया जाना चाहिए।

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