बेशक सोशल मीडिया का इस्तेमाल हमारे लिए कई तरीको से फायदेमंद रहा है। लेकिन उसी के साथ, इसने कई सारी दूसरी समस्याओं को भी बढ़ावा दिया है। झूठी ख़बर और गलत सूचनाओं का फैलाना उनमे से एक समस्या है। सोशल मीडिया का मुख्य उददेश्य लोगों को अपने विचारों को रखने का मंच देना है। हालाँकि, जनता द्वारा अपने स्वार्थ लाभ के लिए इसका दुरूपयोग किया जा रहा है।
झूठी ख़बर और गलत सूचना को मुख्यतः या तो शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों को बदनाम करने या फिर आर्थिक फायदों के लिए फैलाया जाता है। इसी कारण खासकर चुनावों के दौरान कई सारी झूठी ख़बरें बहुत बढ़ जाती हैं। इस मामले में, फेसबुक मुख्य जरिया होता है जिसके द्वारा झूठी ख़बरों को फैलाया जाता है। हालाँकि, हाल के वर्षों में, फेसबुक ने अपने मंच पर झूठी ख़बरों की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए पहल की है। फेसबुक के अलावा ट्विटर को भी झूठी ख़बरों को फ़ैलाने के लिए उपयोग किया गया है।
झूठी ख़बरों को फैलाना क्योँ ख़तरनाक है?
खैर, कई कारणों से झूठी ख़बरें फैलाना समाज के लिए ख़तरनाक है। झूठी ख़बर फ़ैलाने का मुख्य उददेश्य जनता को किसी चीज या प्रभावशाली व्यक्ति के विरुद्ध उकसाना है। उदाहरण के लिए, चुनावों के समय, आपको सोशल मीडिया मंच पर कई सारी राजनीतिक पोस्ट देखने को मिलती हैं। मान लीजिये कि एक पोस्ट किसी एक ख़ास पार्टी के द्वारा की गयी हिंसा से जुड़ी हुई है जो कि असल में उनके द्वारा नहीं की गयी है। इस तरह की पोस्टों से समाज में दंगे और अराजकता फैलती है।
झूठी ख़बरों को लोगों द्वारा प्रभावशाली और शक्तिशाली लोगों को बदनाम करने के लिए फैलाया जाता है। इसके अलावा, लोग अपने स्वयं के निजी फायदे के लिए भी गलत सूचना को फैलाते हैं। चाहे, कोई भी कारण हो इससे समुदाय में लड़ाई और दंगे हो सकते हैं। इसलिए, झूठी ख़बरों को किसी भी कीमत पर रोके जाने की जरूरत है। लोगों को गलत सूचना और झूठी ख़बरों को फैलाकर दूसरों को उकसाने से रोकने की तुरंत आवश्यकता है।
क्या कदम उठाये गए हैं?
फेसबुक और ट्विटर जैसे बड़े सोशल मीडिया मंच झूठी ख़बरों और गलत सूचनाओं के फैलने से रोकने के लिए आगे आए हैं। वे समस्या पर अंकुश लगाने के पहले ही कदम उठा चुके हैं।
झूठी ख़बरों के मामले में, फेसबुक बहुत सक्रिय कार्यवाही कर रहा है। उन्होंने पोस्टों को जांचने की व्यवस्था की है ताकि लोग कोई भ्रमित करने वाली पोस्ट न डाल सकें। अगर वे किसी खाते को बार बार ऐसा करते हुए पाते हैं तो उनकी प्रोफाइल को भी प्लेटफार्म से हटा दिया जाता है। बेशक, फेसबुक द्वारा लिए गए कदमों ने नतीजे दिखाए हैं। 2016 के चुनावों से, झूठी ख़बरों और गलत सूचना का फैलना काफी हद तक कम हो गया है। हालाँकि, इसे पूरी तरह से रोकने से पहले उन्हें काफी लम्बा रास्ता तय करना है।
झूठी खबर फैलाना किसी गुनाह से कम नहीं है। लोगों को समाज की भलाई के लिए ऐसे कामों को करने से बचना चाहिए। आशा है, समस्या निकट भविष्य में हल हो जाएगी।