शीर्ष सुर्खियाँ

600 साल पुराने घिला वृक्ष को असम का सबसे पुराना वृक्ष माना गया

गोलाघाट के हजरत लंगरशाह औलिया दरगाह शरीफ मजार परिसर में 600 साल पुराने घिला वृक्ष (अफ्रीकी स्वप्न जड़ी बूटी) को असम के सबसे पुराने वृक्ष के रूप में मान्यता दी गई है।

Sentinel Digital Desk

एक संवाददाता

गोलाघाट: गोलाघाट के हजरत लंगरशाह औलिया दरगाह शरीफ मजार परिसर में 600 साल पुराने गिला पेड़ (अफ्रीकी स्वप्न जड़ी बूटी) को असम के सबसे पुराने पेड़ के रूप में मान्यता दी गई है।

इस ऐतिहासिक वृक्ष ने ब्रिटिश काल से लेकर अब तक कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। यह घिला वृक्ष हज़रत लंगरशाह औलिया दरगाह शरीफ़ मज़ार परिसर में सात बीघा ज़मीन पर फैला है और राज्य के पर्यावरण एवं वन विभाग ने इसे असम के सबसे प्राचीन वृक्ष के रूप में मान्यता देते हुए 'असम के विरासत वृक्ष' पुस्तक में शामिल किया है। यह वृक्ष असम के विभिन्न ज़िलों के शीर्ष 100 ऐतिहासिक वृक्षों की सूची में शामिल है।

मजार प्रबंधन समिति ने इस वृक्ष के महत्व को आधिकारिक रूप से मान्यता देने के लिए सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने छात्रों को इस प्राचीन वृक्ष पर शोध करने के लिए भी आमंत्रित किया। यह ऐतिहासिक वृक्ष न केवल असम की विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और संस्कृति का भी प्रमाण है। सरकार द्वारा इसे मान्यता देना आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐसे प्राचीन वृक्षों के संरक्षण के महत्व को दर्शाता है।

यह भी पढ़ें: संपादक को पत्र: एक 'बकुल' वृक्ष की कहानी

यह भी देखें: