मुंबई: रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित ₹17,000 करोड़ के ऋण धोखाधड़ी के सिलसिले में 5 अगस्त, 2025 को पूछताछ के लिए तलब किया है। केंद्रीय एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत समूह की कई संस्थाओं और बैंकों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं की जाँच कर रही है।
जाँचका विवरण
यह समन अंबानी के व्यावसायिक हितों से जुड़े मुंबई में 35 से अधिक स्थानों पर ईडी द्वारा की गई छापेमारी के बाद जारी किया गया है। यह जाँच ऋण राशि के अवैध रूप से दुरुपयोग के आरोपों पर केंद्रित है।
यस बैंक ऋण: जाँच का मुख्य केंद्र 2017 और 2019 के बीच यस बैंक से अंबानी की कंपनियों को दिए गए लगभग ₹3,000 करोड़ के ऋणों का संदिग्ध हस्तांतरण है। ईडी इन ऋणों और यस बैंक के प्रवर्तकों को कथित रूप से किए गए भुगतानों के बीच संभावित संबंध की जाँच कर रहा है।
सेबी के निष्कर्ष: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक रिपोर्ट भी ईडी के साथ साझा की गई है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने एक अज्ञात संबंधित पक्ष, सीएलई प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के माध्यम से लगभग ₹10,000 करोड़ का हस्तांतरण किया। इन निधियों को कथित तौर पर अंतर-कॉर्पोरेट जमा के रूप में प्रच्छन्न किया गया और उचित अनुमोदन के बिना स्थानांतरित किया गया। रिलायंस समूह के करीबी सूत्रों ने इस आंकड़े को चुनौती दी है और कहा है कि वास्तविक राशि ₹6,500 करोड़ थी।
अन्य आरोप: ईडी एक फर्जी बैंक गारंटी रैकेट की भी जाँच कर रहा है। आरोप है कि समूह से जुड़ी कंपनियों की ओर से सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) को ₹68.2 करोड़ की फर्जी गारंटी जमा की गई थी।
कंपनी और शेयर बाजार की प्रतिक्रिया
छापेमारी के जवाब में, रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर दोनों ने शेयर बाजारों को बयान जारी किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी उनके बोर्ड में नहीं हैं और ईडी की कार्रवाई का उनके व्यावसायिक संचालन या वित्तीय प्रदर्शन पर "बिल्कुल कोई प्रभाव" नहीं पड़ा है।