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एपीएससी घोटाला मामला, आरोपी अधिकारियों को मिल सकता है विभागीय चूक का लाभ

Sentinel Digital Desk

गुवाहाटी। असम लोक सेवा आयोग के बहुचर्चित (एपीएससी) कैश फॉर जॉब घोटाले में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अब तक की गई कार्रवाई एक नया मोड़ ले सकती है। इस प्रक्रिया में अधिकारियों को निकालतेे समय नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया गया जिस वजह से एसा लगता है कि उनकी बहाली का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। संबंधित विभाग द्वारा की गई कार्रवाई अभियुक्तों को आर्शीवाद प्रतीक हो रहा है। फरवरी 2017 के डिब्रुगढ़ पुुलिस के एक मामले के आधार पर 63 अधिकारियों को एपीएससी घोटाला के अंतर्गत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इन सभी को पहले निलंबित किया गया और बाद में इन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार निलंबन के बाद अपनाई जाने वाली सामान्य प्रक्रिया का पालन किए बिना ही उन्हें उनकी संबंधित सेवाओं से बर्खास्त किया गया। विभाग की इस चूक का वे अब फायदा उठाएंगे। विभाग की इस चूक को लेकर आरोपी अधिकारियों ने अपने अधिकारों लड़ाई तेज करते हुए ममता ने कहा, इस तथ्य को देखते हुए कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं और राज्य की योजनाओं का समर्थन करने की शक्ति भी नहीं है, इसलिए मेरे लिए किसी भी वित्तीय शक्तियों से रहित निकाय की बैठक में भाग लेना निरर्थक है। बनर्जी ने अपने पत्र में एक जनवरी, 2015 को योजना आयोग को भंग कर उसका नाम नीति आयोग रखने के इतिहास का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से, राज्यों की सहायता के लिए किसी भी वित्तीय शक्तियों को निर्दिष्ट किए बिना नीति आयोग नामक एक नया निकाय एक जनवरी, 2015 को योजना आयोग के स्थान पर गठित किया गया। उन्होंने कहा, पूर्ववर्ती योजना आयोग राज्यों की आवश्यकता के आकलन के आधार पर कार्य करता था। इसके अलावा, नए निकाय में राज्यों की वार्षिक योजना के समर्थन की शक्ति का भी अभाव है। योजना आयोग को बदलने और नीति आयोग का गठन करने पर अपना विरोध दर्ज कराने के चलते पहले भी ममता निकाय के विचार-विमर्श की बैठक से दूर रही हैं।