नई दिल्ली: लाल किला विस्फोट मामले की जाँच कर रहे जाँचकर्ताओं ने खुलासा किया है कि तीन कथित विदेशी संचालकों में से एक ने इस मामले में शामिल फरीदाबाद के अल फलाह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर मुज़म्मिल अहमद गनई को बम बनाने के 42 वीडियो भेजे थे। एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स के ज़रिए साझा किए गए इन वीडियो ने कथित तौर पर आरोपियों को विस्फोटक इकट्ठा करने और हमले करने में मदद की।
विस्फोट से दस दिन पहले गिरफ्तार किए गए गनई के बारे में माना जाता है कि उसने भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री जमा कर रखी थी, जिसमें उसके परिसर से बरामद 2,500 किलोग्राम से ज़्यादा विस्फोटक सामग्री भी शामिल है। 'हंजुल्लाह', 'निसार' और 'उकासा' जैसे छद्म नामों से पहचाने जाने वाले संचालकों के विदेश में स्थित होने का संदेह है, जिनमें से एक का संबंध तुर्की से है। सुरक्षा एजेंसियाँ इस मॉड्यूल और कर्नाटक व तमिलनाडु में हुए इसी तरह के डीआईवाई बम बनाने के हमलों के बीच संभावित संबंधों की जाँच कर रही हैं।
विदेशी संचालकों में, मोहम्मद शाहिद फैसल—जिसे 'कर्नल' और 'लैपटॉप भाई' जैसे उपनामों से जाना जाता है—2020 से दक्षिण भारत में आतंकी गतिविधियों का समन्वय करने वाला एक प्रमुख व्यक्ति बनकर उभरा है। फैसल कोयंबटूर, मंगलुरु और बेंगलुरु में हुई घटनाओं सहित कई बड़े बम विस्फोटों से जुड़ा है और माना जाता है कि वह पहले की एक आतंकी साजिश में नाम आने के बाद पाकिस्तान भाग गया था।
उभरते सबूत दूरस्थ संचालकों की भागीदारी वाले एक समन्वित प्रयास का संकेत देते हैं जो सिग्नल, टेलीग्राम और सेशन जैसे एन्क्रिप्टेड डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्थानीय गुर्गों को कट्टरपंथी बनाते और निर्देश देते हैं। सुरक्षा अधिकारी इन नेटवर्कों का विश्लेषण कर रहे हैं ताकि इन मॉड्यूलों के आपसी संबंधों को समझा जा सके और भविष्य के हमलों को विफल किया जा सके।
जाँच जारी है क्योंकि एजेंसियां संचालकों और स्थानीय आतंकी समूहों पर उनके प्रभाव के बारे में और अधिक खुफिया जानकारी जुटा रही हैं, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ आगे के खतरों को विफल करना है।