गुवाहाटी: असम में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार सृजन अधिनियम (मनरेगा) के तहत 3,44,981 कार्य अधूरे हैं। पिछले कुछ वर्षों से राज्य में कई अधूरे मनरेगा कार्यों में शून्य व्यय हुआ है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, बारपेटा जिले में सबसे अधिक 45,235 अधूरे मनरेगा कार्य हैं, इसके बाद धुबरी में 40,399, कछार में 20,148, नगांव में 19,977 और मोरीगांव में 17,642 कार्य हैं। कामरूप (एम) जिले में सबसे कम 734 अधूरे मनरेगा कार्य हैं।
आँकड़ों ने आगे खुलासा किया है कि पिछले एक साल में 1,81,687 अधूरे मनरेगा कार्यों में, पिछले दो वर्षों में 38,657 अधूरे मनरेगा कार्यों में और पिछले तीन वर्षों में 16,721 अधूरे मनरेगा कार्यों में व्यय शून्य है।
मनरेगा के दोहरे उद्देश्य में रोजगार सृजन और ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति का निर्माण करना है।
वित्त वर्ष 2021-22 के तहत असम मनरेगा के रोजगार सृजन में 40 प्रतिशत लक्ष्य से अधिक सफल रहा है। हालांकि, राज्य संपत्ति निर्माण में थोड़ा पीछे है।
जिसके लिए नोडल विभाग - पंचायत और ग्रामीण विकास - को इस क्षेत्र पर जोर देने की जरूरत है।
असम ने वित्त वर्ष 2021-22 में आम लोगों के लिए 6.5 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 9.16 करोड़ 'कार्य दिवस' का आंकड़ा पार किया है।
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