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एपीएआरटी ने दारंग में साली धान की फसल कटाई का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया

असम एग्रीबिजनेस एंड रूरल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट (एपीएआरटी) ने (के.वी.के) दारंग के सहयोग से कम्बाइन हार्वेस्टर का उपयोग करके साली धान का ग्रैंड हार्वेस्ट प्रोग्राम आयोजित किया

एपीएआरटी ने दारंग में साली धान की फसल कटाई का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया

Sentinel Digital DeskBy : Sentinel Digital Desk

  |  2 Dec 2022 10:30 AM GMT

हमारे संवाददाता

मंगलदाई: असम एग्रीबिजनेस एंड रूरल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट (एपीएआरटी) ने कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) दारंग और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईआरआरआई) के सहयोग से मंगलवार को केवीके, दारंग कैंपस में 'साली धान का ग्रैंड हार्वेस्ट प्रोग्राम यूजिंग हार्वेस्टर' का आयोजन किया।

वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केवीके, दारंग के प्रमुख डॉ. अब्दुल हफीज ने धान की कटाई के दौरान मिनी कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग कर कृषक समुदाय की खातिर आयोजित कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी।

जिला विकास आयुक्त शुभलक्ष्मी डेका मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुईं और उन्होंने इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया, जो विभिन्न मशीनरी उपयोगों के बारे में कृषक समुदाय के बीच जागरूकता पैदा करेगा। आईआरआरआई के विशेषज्ञ ज्योति विकास नाथ और नीरज कुमार त्यागी ने समारोह में हिस्सा लेते हुए इन मशीनों के फायदों के बारे में बताया और बताया कि खेत में ही कटाई के दौरान बीज की गुणवत्ता कैसे बनी रहती है। उन्होंने यह भी बताया कि कटाई की मशीनीकृत विधि से न केवल श्रम लागत कम होती है बल्कि समय की भी बचत होती है।

केके पंडित, एसडीएओ (बागवानी) दारंग ने भी मजदूरों की कमी पर बात की और बताया कि कैसे इस तरह की मशीनरी हमारे किसानों को कटाई के दौरान उनकी समस्या को दूर करने में मदद करती है। हंगुल ज्योति सलोई, कृषि प्रबंधक केवीके, डारंग, अमलदीप सैकिया, जूनियर रिसर्चर, आईआरआरआई ने गेलैडिंगी गांव के मोहन च. कोच के एपीएआरटी प्रदर्शन क्षेत्र में मिनी कंबाइन हार्वेस्टर के कार्य सिद्धांत का प्रदर्शन और व्याख्या की।

मशीन में एक घंटे के भीतर 2-2.5 बीघा धान की कटाई की क्षमता है, जो निश्चित रूप से मैन्युअल कटाई की तुलना में कहीं बेहतर तरीका है। इससे न केवल समय की बचत होती है बल्कि उत्पादन की लागत भी कम होती है और इस प्रकार किसानों के लिए लाभ में वृद्धि होती है। चूंकि मिनी कंबाइन हार्वेस्टर ट्रैक प्रकार का है, इसलिए बोरो सीजन के दौरान गीली स्थितियों में धान की कटाई करना आसान हो जाता है क्योंकि धान के खेत में इतना पानी उपलब्ध होता है। कार्यक्रम में दरंग जिले के विभिन्न प्रखंडों के सैकड़ों किसानों ने भाग लिया।

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