रैगिंग को रोकने के लिए विश्वविद्यालयों, कॉलेजों को 'पुराने छात्रों' को नियंत्रित करने के लिए कहा गया

उच्च शिक्षा निदेशक ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों, सरकारी और प्रांतीय कॉलेजों, सरकारी मॉडल कॉलेजों और पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श महाविद्यालयों के प्रमुखों को यूजीसी द्वारा बनाए गए एंटी-रैगिंग नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है।
रैगिंग को रोकने के लिए विश्वविद्यालयों, कॉलेजों को 'पुराने छात्रों' को नियंत्रित करने के लिए कहा गया

स्टाफ रिपोर्टर

गुवाहाटी: उच्च शिक्षा निदेशक ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों, सरकारी और प्रांतीय कॉलेजों, सरकारी मॉडल कॉलेजों और पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श महाविद्यालयों के प्रमुखों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा बनाए गए एंटी-रैगिंग नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है।

उच्च शिक्षा निदेशक ने यह निर्देश पिछले 29 नवंबर को राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के एक पत्र के आधार पर जारी किया है।

गौरतलब है कि उच्च शिक्षा निदेशक के पत्र में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है: "मुझे आपको सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि पुराने छात्र विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रावास के वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। आपसे अनुरोध है कि इस मामले में जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई करें।"

उल्लेखनीय है कि 2009 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार यूजीसी द्वारा एंटी-रैगिंग नियम बनाए गए थे। यूजीसी के नियमों को उसी वर्ष अधिसूचित किया गया था। नियमों ने कॉलेज और विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा एक छात्र के प्रवेश से पहले, प्रवेश प्रक्रिया के दौरान और प्रवेश प्रक्रिया के बाद उठाए जाने वाले कदमों को निर्धारित किया।

उच्च शिक्षा निदेशक का यह निर्देश हाल ही में डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के एक छात्र द्वारा एक छात्रावास के वरिष्ठ छात्रों द्वारा रैगिंग के कारण गंभीर रूप से घायल हो जाने के कारण हुए उपद्रव के मद्देनजर आया है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पहले ही कह चुके हैं कि राज्य भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रावासों में पूर्व छात्रों को रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

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