
स्टाफ रिपोर्टर
गुवाहाटी: असम मानवाधिकार आयोग (एएचआरसी) ने असम विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) देबब्रत सैकिया के उस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है जिसमें उन्होंने 18 अगस्त को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) में एक नवजात शिशु की दुखद मौत का स्वतः संज्ञान लेने और स्वतंत्र जांच का आदेश देने का अनुरोध किया था। शिशु की मौत कथित तौर पर घोर चिकित्सीय लापरवाही के कारण नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में हुई थी।
सैकिया को भेजे गए अपने आधिकारिक पत्र में, आयोग ने स्पष्ट किया कि स्वप्रेरणा से मामले केवल न्यायालय या आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर ही दर्ज किए जा सकते हैं, किसी व्यक्ति या प्राधिकारी के अनुरोध पर नहीं। एएचआरसी ने कहा, "स्वप्रेरणा से मामले न्यायालय/आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज किए जाते हैं, किसी व्यक्ति के अनुरोध के बिना। स्वप्रेरणा से संज्ञान लेने का अनुरोध स्वीकार नहीं किया जाता। इसलिए, इस पत्र के आधार पर कोई मामला दर्ज नहीं किया जाता।"
यह स्पष्टीकरण सैकिया के 26 अगस्त के पत्र के जवाब में आया है, जिसमें आयोग से इस मामले को अपने हाथ में लेने और कथित चिकित्सीय लापरवाही के लिए जवाबदेही तय करने का आग्रह किया गया था।
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