
गुवाहाटी: असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष गौरव गोगोई ने असम पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दो प्रतिष्ठित पत्रकारों, करण थापर और सिद्धार्थ वरदराजन, के खिलाफ दर्ज मामले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है।
द हिंदू और द वायर के साथ अपने काम के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करने वाले दोनों पत्रकारों पर भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है, हालाँकि एफआईआर में आरोपों का विवरण और स्पष्टता अभी तक उपलब्ध नहीं है। गोगोई ने याद दिलाया कि दोनों को स्वतंत्र पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए पहले प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पुरस्कार मिल चुका है।
गौरतलब है कि 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने द वायर के संस्थापक संपादक को अग्रिम ज़मानत दे दी थी और कहा था कि असम पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकती। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि मुश्किल समय में संभावित संकटों के बारे में जनता को सूचित करना पत्रकारिता का कर्तव्य है और पत्रकारिता से जुड़े प्रतिष्ठित नागरिकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर की प्रतियां किसी भी पूछताछ से पहले उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
गोगोई ने आगे कहा कि असम पुलिस द्वारा इन दोनों पत्रकारों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग करने से रोकने का कदम कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग और असंवैधानिक है। एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्होंने एक सार्वजनिक संदेश के माध्यम से असम पुलिस से प्रेस की स्वतंत्रता की पवित्रता बनाए रखने का आग्रह किया।
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