एलओसी घोटाला: गुवाहाटी की विशेष सीबीआई अदालत ने 3 दशक बाद 5 को दोषी ठहराया
स्टाफ रिपोर्टर
गुवाहाटी: विशेष सीबीआई कोर्ट, गुवाहाटी ने तीन दशक के लंबे अंतराल के बाद करोड़ों रुपये के एलओसी (लेटर ऑफ क्रेडिट) घोटाले का फैसला सुनाया। घोटाले के 34 आरोपियों में से केवल 12 ही जीवित बचे हैं, और उनमें से पांच को दोषी ठहराया गया था। अन्य सात आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
जबकि तीन दोषियों- बीएन चंकरवर्ती, तरण कुमार दास और जयता सरमा को तीन साल की कैद और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। अन्य दो- मोहिबुर रहमान और प्रणब सैकिया को दो साल की सजा और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। अदालत ने सात अन्य आरोपियों को बरी कर दिया: डी पुरकायस्थ, डी सोनोवाल, डी लश्कर, टूटू छेत्री, एच वैफेई, ए क्रो और जादब गोगोई।
तत्कालीन मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया के कार्यकाल के दौरान शुरू हुआ एलओसी घोटाला 1996 में महंत के शासनकाल के दौरान राज्य में काफी चर्चित रहा। हालाँकि, तत्कालीन राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार करने के बाद मामले की सीबीआई जाँच बंद कर दी गई थी। तरुण गोगोई सरकार ने 2010 में इसे फिर से खोला।
पशु चिकित्सा विभाग में हुए घोटाले की कार्यप्रणाली यह थी कि ठेकेदारों के नाम से कोषागारों को भेजे जाने वाले ‘लेटर ऑफ क्रेडिट’ की राशि के बाईं ओर कुछ अंकों के लिए जगह छोड़ दी जाती थी। कुछ ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच गुप्त समझौते के तहत घोटालेबाजों ने बाईं ओर छोड़े गए स्थान पर अधिक अंक डाल दिए ताकि अपनी इच्छानुसार राशि बढ़ा सकें।