

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए, विशेष रूप से देश भर में तपेदिक और मधुमेह की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का लाभ उठा रही है।
लोकसभा में एक लिखित उत्तर में, जाधव ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई-आधारित समाधानों के विकास और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एम्स दिल्ली, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ और एम्स ऋषिकेश को 'कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सीओई)' के रूप में नामित किया है।
उन्होंने आगे कहा, "मंत्रालय ने ई-संजीवनी में क्लिनिकल डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (सीडीएसएस), डायबिटिक रेटिनोपैथी (डीआर पहचान समाधान) और असामान्य चेस्ट एक्स-रे क्लासिफायर मॉडल सहित एआई समाधान विकसित किए हैं।"
मधुनेत्रएआई (डीआर पहचान समाधान) एक एआई समाधान है जिसे गैर-विशेषज्ञ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को डायबिटिक रेटिनोपैथी की जाँच करने में सक्षम बनाने के लिए विकसित किया गया है। यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके रेटिना फंडस छवियों का विश्लेषण करके डीआर का पता लगाने को स्वचालित करता है, जिससे मानकीकृत, सुलभ और कुशल ट्राइएज सुनिश्चित होता है।
यह मानक श्रेणियों में डीआर को वर्गीकृत करता है, जिससे विशेषज्ञ रेफरल के लिए तत्काल मामलों को प्राथमिकता देकर अनुकूलित संसाधन आवंटन संभव होता है।
जाधव ने कहा, "इस समाधान को 11 राज्यों की 38 सुविधाओं में लागू किया गया है और 14,000 से ज़्यादा रेटिना छवियों की जाँच के दौरान एआई सहायता प्रदान की गई है, जिससे 7,100 मरीज़ लाभान्वित हुए हैं।"
क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत, सामुदायिक परिवेश में फुफ्फुसीय टीबी की जाँच के लिए 'कफ अगेंस्ट टीबी' (सीएटीबी) एआई समाधान का उपयोग किया जाता है। जिन भौगोलिक क्षेत्रों में इसका उपयोग किया गया है, वहाँ पारंपरिक तरीकों से मरीज़ों की जाँच की तुलना में इस समाधान ने टीबी के मामलों में 12-16 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि दिखाई है।
मंत्री ने कहा, "मार्च 2023 से 30 नवंबर, 2025 के बीच,सीएटीबी समाधान का उपयोग 1.62 लाख से ज़्यादा लोगों की जाँच के लिए किया गया है।"
'क्लिनिकल डिसीज़न सपोर्ट सिस्टम' (सीडीएसएस) एआई समाधान को राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म, ई-संजीवनी में एकीकृत किया गया है, ताकि मरीज़ों की शिकायतों को दर्ज करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके और एआई-आधारित विभेदक निदान सुझाव प्रदान करके परामर्श की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। (आईएएनएस)