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गृहमंत्री अमित शाह के सामने अयोध्या, कश्मीर और एनआरसी की चुनौती

गृहमंत्री अमित शाह के सामने अयोध्या, कश्मीर और एनआरसी की चुनौती

Sentinel Digital DeskBy : Sentinel Digital Desk

  |  1 Jun 2019 11:55 AM GMT

नई दिल्ली (एजेंसी)। जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में आतंकवाद से लेकर देश के अंदर नक्सलवाद तक नए गृह मंत्री अमित शाह के सामने कई चुनौतियां खड़ी दिख रही हैं। सबसे पहली चुनौती तो कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की है। पिछले वर्षों में कश्मीर के चुनावों में खूब हिंसा देखी गई है। इसके अलावा धारा 370, 35 ए और एनआरसी जैसे मसलों से निपटने की चुनौती अब अमित शाह के जिम्मे आ गई है। कश्मीर की चुनौती कश्मीर में पिछले साल नवंबर में विधानसभा भंग कर दी गई थी।

इसके बाद से चुनाव आयोग चुनाव कराने के लिए गृह मंत्रालय के संकेत का इंतजार कर रहा है। सुरक्षा कारणों की वजह से ही वहां लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव नहीं हो पाए। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गृह मंत्रालय वहां अमरनाथ यात्रा के बाद यानी अगस्त के बाद चुनाव कराना चाहता है। लेकिन आमतौर पर कश्मीर में अप्रैल से अक्टूबर के बीच हिंसा बढ़ जाती है। कश्मीर में धारा 370 को खत्म करना और अनुच्छेद 35 ए को निरस्त करना बीजेपी का एजेंडा रहा है। लेकिन कश्मीर के लोगों में इसे लेकर काफी विरोध है।

अब शाह के सामने इन लंबित मसलों को निपटाने की चुनौती होगी। कश्मीर में सरकार की तमाम सख्ती के बावजूद युवाओं में आतंकवादी संगठनों का असर बढ़ता देखा गया है। साल 2018 में 191 युवा आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। दूसरी तरफ, सीमा पर तमाम चौकसी के बाद भी पाकिस्तान से होने वाली घुसपैठ में भी कमी नहीं आई है और इसकी घटनाएं बढ़ी हैं। कश्मीर में आतंक विरोधी अभियानों में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के जवान भी शहीद हुए हैं।

साल 2016 में 171 जवान शहीद हुए थे, लेकिन जनवरी 2018 से अब तक यह संख्या 200 से ज्यादा रही है। घाटी में साल 2018 में 244 आतंकी मारे गए थे। पूर्वोतर में आतंकवाद और एनआरसी का मसला गृह मंत्रालय के लिए दूसरी प्राथमिकता पूर्वोत्तर का इलाका हो सकता है, जहां आतंकवाद फिर से पैर पसारने लगा है। सरकार का दावा है कि वहां 90 के दशक से अब तक हिंसा में 85 फीसदी की कमी आई है। लेकिन हाल में एनएससीएन-आईएम कैडर और सुरक्षा बलों के बीच कई टकराव हुए हैं। पिछले हफ्ते ही आतंकियों ने नेशनल पीपल्स पार्टी के एक विधायक की हत्या कर दी थी।

परेश बरुआ के नेतृत्व वाला उल्फा कमजोर पड़ा है, लेकिन उसकी हिंसक गतिविधियां जारी हैं। एनआरसी के मसले पर विवाद की वजह से असम में तनाव बढ़ा है। कोई भी वाजिब भारतीय नागरिक एनआरसी से बाहर न रह जाए, यह सुनिश्चित करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। नक्सलवाद की चुनौती अगले पांच साल में गृह मंत्री अमित शाह माओवादी हिंसा को पूरी तरह से कुचलने की कोशिश करेंगे। नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों पर हाल में हमलों की संख्या बढ़ी है, लेकिन कुल मिलाकर हिंसा में कमी आई है। आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में माओवादी कमजोर पड़े हैं, लेकिन छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और बिहार में अभी चुनौतियां बनी हुई हैं।

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