
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी केंद्र को घेरने में अपनी हठधर्मिता और ‘बड़े भाई’ के रवैये के कारण खुद को इंडिया ब्लॉक में अलग-थलग पाती दिख रही है। पहले तो पार्टी संसद में मुद्दे उठाने के लिए सहयोगी दलों का समर्थन हासिल करने में विफल रही और अब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के ‘पक्षपाती और फिक्स’ होने के उसके दावों को उसके अपने सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने ही खारिज कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कांग्रेस को सलाह दी कि वह ईवीएम के बारे में शिकायत करना बंद करे और साथ ही चुनाव लड़ता रहे। उन्होंने कहा, "उसी ईवीएम ने आपको 99 सीटें दीं। आपने उस जीत का जश्न मनाया, लेकिन फिर जब आप चुनाव हार गए तो आप उसी के बारे में शिकायत करते रहते हैं। आप ईवीएम को दोष देने में चयनात्मक नहीं हो सकते।"
उमर ने कांग्रेस के दावों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस ईवीएम से मतदान की जगह बैलेट पेपर से मतदान की मांग कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष पहले ही ईवीएम से बैलेट पेपर पर मतदान के लिए बड़े आंदोलन का आह्वान कर चुके हैं।
उमर ने इन दावों को 'अवसरवाद' बताते हुए कहा कि पार्टी को एक सुसंगत रुख अपनाना चाहिए और अगर उसे ईवीएम से कोई समस्या है तो उसे या तो चुनावों का बहिष्कार करना चाहिए या उनसे दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा, "चुनाव हारने के लिए केवल ईवीएम को दोष देना सही दृष्टिकोण नहीं है।"
उमर द्वारा कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना पर भाजपा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा कि राहुल गांधी लगातार हारे हुए व्यक्ति की तरह दिख रहे हैं, जिनके साथ कोई भी जुड़ना नहीं चाहता।
उन्होंने एक्स पर लिखा, "अब उमर अब्दुल्ला ईवीएम मुद्दे पर कांग्रेस और राहुल गांधी को निशाने पर ले रहे हैं... ईवीएम तब अच्छी नहीं हो सकती जब कांग्रेस जीतती है और तब खराब होती है जब वे हारती हैं... राहुल गांधी लगातार हारे हुए व्यक्ति की तरह दिख रहे हैं, जिनके साथ कोई भी खड़ा नहीं होना चाहता।"
जम्मू-कश्मीर चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस से एनसी की दूरी शुरू हो गई थी। निर्णायक अंतर से चुनाव जीतने के बाद उमर ने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से पार्टी की नाराजगी जाहिर की थी कि उन्होंने प्रचार का जिम्मा अकेले एनसी पर छोड़ दिया है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में इंडिया ब्लॉक के भीतर बढ़ती खाई साफ देखी जा सकती है। टीएमसी सुप्रीमो ने हाल ही में शीर्ष स्तर पर 'नेतृत्व परिवर्तन' की मांगों का समर्थन किया और विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए अपनी सहमति देने में भी संकोच नहीं किया।
भारत ब्लॉक के भीतर की गड़गड़ाहट और भी बढ़ गई क्योंकि इसे राजद और कुछ अन्य सहयोगियों से भी समर्थन मिला। (आईएएनएस)
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