

नई दिल्ली: भारतीय एजेंसियां बांग्लादेशी आतंकी समूहों द्वारा देश में घुसपैठ की एक बड़ी योजना पर कड़ी नज़र रख रही हैं। शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने और जमात-ए-इस्लामी के व्यापक नियंत्रण के बाद, आतंकी समूह फल-फूल रहे हैं। कई आतंकवादियों को जेल से रिहा कर दिया गया और उन्हें अपनी गतिविधियों की खुली छूट दे दी गई। ये आतंकवादी इतने दुस्साहसी हैं कि कई खुलेआम बैठकें करते हैं और सुरक्षा एजेंसियां इस पर आँखें मूंद लेती हैं। खुफिया एजेंसियां बांग्लादेशी आतंकवादियों और भारत में उनके रसद प्रदाताओं व वित्तपोषकों के बीच बातचीत का पता लगा रही हैं। ये समूह भारत में अपने समर्थकों के संपर्क में भी हैं और यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आतंकवादियों की एक बड़ी घुसपैठ की योजना बनाई जा रही है। पूर्वोत्तर राज्यों से लगी सीमाओं पर कड़ी निगरानी के साथ-साथ पश्चिम बंगाल पर भी कड़ी नज़र रखी जा रही है। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि दक्षिण 24 परगना, मुर्शिदाबाद, बीरभूम और मालदा में इन समूहों के लिए बड़ी संख्या में लोग काम कर रहे हैं। ये जगहें लंबे समय से रडार पर हैं क्योंकि बांग्लादेशी आतंकवादी समूह अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। एजेंसियां पश्चिम बंगाल के कुछ स्थानों पर गतिविधियों में वृद्धि देख रही हैं। इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि आईएसआई समर्थित बांग्लादेशी आतंकवादी समूह भारत में किसी दुस्साहस की कोशिश कर रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियाँ उन कुछ भगोड़े नक्सलियों पर भी नज़र रख रही हैं जिनसे ये आतंकी समूह संपर्क कर सकते हैं। पश्चिम बंगाल में इनकी संख्या काफी है, क्योंकि 1967 में राज्य से ही नक्सलवाद की शुरुआत हुई थी। कई लोग जो आत्मसमर्पण नहीं करना चाहते थे या मारे जाने के डर से लापता हो गए थे। एक अधिकारी ने बताया कि आज वे रडार से बाहर हैं, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि बांग्लादेश से सक्रिय ये तत्व उनसे संपर्क कर सकते हैं। हालाँकि पहले इन आतंकी समूहों की योजना पूर्वोत्तर राज्यों के रास्ते घुसपैठ करने की थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना इरादा बदल दिया और पश्चिम बंगाल की सीमा की ओर अपना अभियान बढ़ाने का फैसला किया। पिछले कुछ वर्षों में, इन आतंकी समूहों ने राज्य में अपने मॉड्यूल स्थापित किए हैं। उनके कई दलाल हैं जिनका काम घुसपैठ में मदद करना है। पश्चिम बंगाल में यही वे नेटवर्क हैं जिन्होंने इन आतंकी समूहों को न केवल घुसपैठ में, बल्कि नकली भारतीय मुद्रा के प्रसार और नशीले पदार्थों को बढ़ावा देने में भी मदद की है। पिछले कुछ वर्षों में, इस तरह के व्यापार में लिप्त इन लोगों ने खूब पैसा कमाया है, जिसकी बदौलत उन्होंने ऊँची पहुँच बनाई है। वर्षों से विकसित हुए इन संबंधों ने उन्हें बिना किसी डर के अपना व्यापार करने में मदद की है। पश्चिम बंगाल कई वर्षों से घुसपैठ और अन्य अवैध गतिविधियों के प्रति संवेदनशील रहा है।
पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 2,688 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया और खदेड़ा गया। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, इनमें से अकेले दक्षिण बंगाल में 2,410 और उत्तर बंगाल में 278 लोग पकड़े गए। मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का कार्यवाहक बनाए जाने के बाद से कट्टरपंथी समूहों को खुली छूट मिल गई है। आईएसआई ने बांग्लादेश को अपना खेल का मैदान बना लिया है और पिछले कई महीनों में सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों को आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने के लिए भेजा है। इसने इन समूहों को एकजुट होकर काम करने की सलाह भी दी है। इसका मतलब यह होगा कि हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (हूजी), अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी), जमात-ए-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) जैसे प्रमुख आतंकवादी समूह एकजुट होकर काम करेंगे। आईएसआई का मानना है कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि ये समूह मजबूत होंगे खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इन सभी आतंकी समूहों का पश्चिम बंगाल में एक नेटवर्क है और अब आईएसआई ने उन्हें सक्रिय करने के निर्देश दिए हैं। यहाँ तक कि पश्चिम बंगाल से लगती बांग्लादेश की सीमा पर स्थित नेटवर्क भी काफ़ी सक्रिय हो गए हैं, जिससे भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ की एक संभावित लहर का संकेत मिलता है। (आईएएनएस)