राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020: पीजी शिक्षकों को छठी-बारहवीं कक्षा से होना चाहिए

राज्य शिक्षा विभाग राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप शिक्षकों के 'नामकरण' और 'कर्तव्य' में आमूलचूल परिवर्तन कर रहा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020: पीजी शिक्षकों को छठी-बारहवीं कक्षा से होना चाहिए

गुवाहाटी : राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप राज्य का शिक्षा विभाग शिक्षकों के 'नामकरण' और 'कर्तव्य' में आमूलचूल परिवर्तन कर रहा है। अब विभाग कक्षा VI-XII के शिक्षकों के रूप में केवल स्नातकोत्तर उम्मीदवारों की भर्ती करेगा।

 शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार शिक्षकों के सेवा नियमों में संशोधन की प्रक्रिया चल रही है कि 'अब से स्कूली शिक्षकों की आवश्यक योग्यता स्नातकोत्तर होगी, और सभी नई भर्तियों में स्नातक शिक्षकों के पद गैर-मौजूद होंगे।' कक्षा छठी से बारहवीं तक के स्नातकोत्तर उपाधि धारण करने वाले तथा अध्यापन करने वाले शिक्षकों का नाम 'स्कूल शिक्षक या माध्यमिक विद्यालय शिक्षक' होगा।

 सूत्रों के मुताबिक ऐसे शिक्षकों की भर्ती स्कूल शिक्षा निदेशालय (माध्यमिक) के तहत होगी और शिक्षकों को छठी से बारहवीं कक्षा तक पढ़ाना होगा।

 सूत्रों में से एक ने कहा, "जब भी आवश्यकता होगी एक अतिरिक्त ग्रेड वेतन की संभावना है। एक डॉक्टरेट डिग्री धारक शिक्षक को ग्रेड वेतन के रूप में प्रोत्साहन मिलेगा। मौजूदा शिक्षकों के पास वे सभी अधिकार होंगे जो वे प्राप्त कर रहे हैं"।

 विभाग प्रस्तावित संशोधन को मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष रखेगा।

 राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार, स्कूली शिक्षा पैटर्न मौजूदा 10+2 के मुकाबले 5+3+3+4 होगा।

 प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय नींव चरण की देखरेख करेगा - कक्षा I और II में तीन साल की प्री-स्कूल शिक्षा, साथ ही प्रारंभिक चरण - कक्षा III, IV और V।

 स्कूल शिक्षा निदेशालय माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की जगह लेगा। यह मध्य चरण की देखरेख करेगा, जिसमें कक्षा VI, VII और VIII शामिल है, और माध्यमिक चरण, जिसमें कक्षा IX, X, XI और XII शामिल हैं।

 एनईपी-2020 2022-23 शैक्षणिक सत्र से प्रभावी होगा।

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