प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कविता में व्यक्त करते हैं मनोभाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कविता में व्यक्त करते हैं मनोभाव

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद इन दिनों उनकी कुछ कविताएं सोशल मीडिया और भाजपा कार्यकर्ताओं में खासा लोकप्रिय हो रही हैं। उनकी कविता अभी तो सूरज उगा है को युवा वर्ग काफी पसंद कर रहा है। हाल ही में एक निजी टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में जब नरेंद्र मोदी से पूछा गया कि पिछले पांच साल में उन्होंने कोई कविता लिखी है तो उन्होंने अभी तो सूरज उगा है कविता सुनाई। कविता कुछ यूं है-आसमान में सर उठाकर/ घने बादलों को चीरकर/ रोशनी का संकल्प लें/ अभी तो सूरज उगा है/ दृढ़ निश्चय के साथ चल कर/ हर मुश्किल को पारकर/ घोर अंधेरे को मिटाने/ अभी तो सूरज उगा है/ विश्वास की लौ जलाकर/ विकास का दीपक लेकर/ सपनों को साकार करने/ अभी तो सूरज उगा है/ न अपना न पराया/ न मेरा न तेरा/ सबका तेज बनकर/ अभी तो सूरज उगा है/ आग को समेटते/ प्रकाश को बिखेरता/ चलता और चलाता/ अभी तो सूरज उगा है/ विकृति ने प्रकृति को दबोचा/ अपनों से ध्वस्त होती आज है/ कल बचाने और बनाने/ अभी तो सूरज उगा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेंद्र मोदी भी अपने मनोभावों को कविता में व्यक्त करते हैं। मोदी की पहली कविता संग्रह गुजराती में वर्ष 2007 में आंख आ धन्य छे प्रकाशित हुआ। 67 कविताओं का यह संग्रह आंख ये धन्य है नाम से दिल्ली के विकल्प प्रकाशन ने प्रकाशित किया। ये कविताएं जिंदगी की आंच में तपे हुए मन की अभिव्यक्ति है। इस संग्रह में मोदी की 1986 से 1989 तक लिखी गई कविताएं हैं। प्रभात प्रकाशन ने मोदी के गुजराती कविता संग्रह साक्षी भाव का हिंदी अनुवाद 2015 में साक्षी भाव नाम से प्रकाशित किया जिसमें 16 कविताएं संकलित हैं।

प्रभात प्रकाशन के प्रमुख प्रभात कुमार ने आईएएनएस से कहा कि इस संग्रह में नरेंद्र भाई की 1986 से 1989 तक की कविताएं संकलित हैं। वह जब इस पुस्तक के सिलसिले में मोदी जी से मिले तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। प्रभात कुमार ने कहा, उस वक्त उन्होंने कहा था कि ये कविताएं नहीं हैं, उनके मनोभाव हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अलग मोदी जी की कविताओं को देखें तो ये काफी भावपूर्ण हैं और कोई कवि हृदय ही ऐसा कर पाएगा। एक कविता में उन्होंने लिखा है- मेरे नए उत्तरदायित्व के विषय में/बाह्य वातावरण में तूफान/लगभग थम गया है/सबक आश्चर्य, प्रश्न आदि अब पूर्णता की ओर हैं/अब अपेक्षाओं का प्रारंभ होगा/अपेक्षाओं की व्यापकता और तीव्रता खूब होगी/तब मेरे नवजीवन की रचना ही अभी तो शेष है। प्रभात कुमार ने कहा कि यह किताब डायरी रूप में जगज्जननी मां से संवाद रूप में व्यक्त उनके मनोभावों का संकलन है, जिसमें उनकी अंतर्दृष्टि, संवेदना, कर्मठता, राष्ट्रदर्शन व सामाजिक सरोकार स्पष्ट झलकते हैं। मध्यप्रदेश में दीनदयाल विचार प्रकाशन की पत्रिका च्चरैवेतिज् ने उनकी कुछ कविताओं को प्रकाशित किया था। इस पत्रिका के संपादक रहे जयराम शुक्ला ने कहा, मोदी जी की कविताओं में सौंदर्य, प्रेम, श्रम, संकल्प, समर्पण है।

नरेंद्र मोदी जी का प्रस्तुतीकरण व्में लौह में तपा हुआ एक कवि हृदय झलकता है। इसमें राष्ट्रवाद भी है। जयराम शुक्ला ने आईएएनएस से कहा, कभी-कभी कुछ अविस्मरणीय काम अनायास ही हो जाते हैं। दीनदयाल विचार प्रकाशन की पत्रिका चरैवेति का संपादन करते हुए मई 2015 के अंक को मोदीजी पर केंद्रित किया था। उस अंक का सबसे चर्चित भाग था कवि के रूप में मोदी। उन्होंने कहा, मोदीजी के व्यक्तित्व के विविध रूपों को खोजते-खोजते उनके द्वारा लिखी गईं कविताएं हाथ लगी। ये कविताएं मूलरूप से गुजराती भाषा में हैं जिनका हिंदी व अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है..। चरैवेति के इस अंक की 20 लाख प्रतियां छापीं थी जो कि किसी गृहपत्रिका के प्रकाशन का राष्ट्रीय कीर्तिमान है। खास बात यह कि पत्रिका के इस अंक की चर्चा प्राय: सभी चैनलों ने अपने प्राइम टाइम में किया था..। कविताओं को ऑनलाइन संकलित करने वाली प्रमुख वेबसाइट कविता कोष के अनुसार, नरेंद्र मोदी की कई कविताएं हैं, जो काव्य कला की दृष्टि से उत्तम हैं और अधिकांश कविताएं देशभक्ति और मानवता से जुड़ी हैं।(आईएएनएस)

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