
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज भारत की पाँच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का फैसला किया। शास्त्रीय भाषाओं में मराठी (महाराष्ट्र), पाली और प्राकृत (बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश), बंगाली (पश्चिम बंगाल) और असमिया (असम) शामिल हैं। सरकार ने शास्त्रीय भाषा के दर्जे के लिए मानदंड तय किए हैं। इसमें कहा गया है कि भाषा अपने शुरुआती ग्रंथों/एक हजार साल से अधिक के इतिहास में उच्च प्राचीन होनी चाहिए, प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक संग्रह होना चाहिए जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता है, और साहित्यिक परंपरा मूल होनी चाहिए और किसी अन्य भाषण समुदाय से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए।
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