नई दिल्ली: शनिवार को हुए एक अध्ययन के अनुसार, संवेदनशील व्यक्तित्व वाले लोगों में अवसाद और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव होने की संभावना अधिक होती है। लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए इस अध्ययन में संवेदनशीलता को एक व्यक्तित्व विशेषता के रूप में परिभाषित किया गया है जो लोगों की पर्यावरणीय उत्तेजनाओं, जैसे तेज रोशनी, पर्यावरण में सूक्ष्म परिवर्तन और अन्य लोगों के मूड को समझने और संसाधित करने की क्षमता को दर्शाती है।
33 अध्ययनों के मेटा-विश्लेषण पर आधारित इस शोध से पता चला है कि संवेदनशीलता और अवसाद व चिंता के बीच एक महत्वपूर्ण, सकारात्मक संबंध है। क्लिनिकल साइकोलॉजिकल साइंस पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों में कहा गया है कि अत्यधिक संवेदनशील लोगों में कम संवेदनशील लोगों की तुलना में अवसाद और चिंता का अनुभव होने की संभावना अधिक होती है।
क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन के मनोचिकित्सक और डॉक्टरेट छात्र टॉम फॉकेंस्टीन ने कहा, "हमने संवेदनशीलता और अवसाद, चिंता, अभिघातज के बाद के तनाव विकार, एगोराफोबिया और परिहार व्यक्तित्व विकार जैसी विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बीच सकारात्मक और मध्यम सहसंबंध पाया है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि नैदानिक अभ्यास में संवेदनशीलता पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए, जिसका उपयोग स्थितियों के निदान में सुधार के लिए किया जा सकता है।"
फॉकेंस्टीन ने कहा कि सामान्य आबादी के लगभग 31 प्रतिशत लोगों को अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है, और निष्कर्ष बताते हैं कि कम संवेदनशील व्यक्तियों की तुलना में वे कुछ मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेपों पर बेहतर प्रतिक्रिया देते हैं।
उदाहरण के लिए, अधिक संवेदनशील व्यक्तित्व वाले लोगों को उपचार योजनाओं से अधिक लाभ मिलने की संभावना हो सकती है, जिसमें लागू विश्राम और माइंडफुलनेस जैसी तकनीकें शामिल होती हैं, जो पुनरावृत्ति को भी रोक सकती हैं।
शोधकर्ता ने कहा, "इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के लिए उपचार योजनाओं पर विचार करते समय संवेदनशीलता पर विचार किया जाना चाहिए। हमारे शोध से पता चलता है कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों में संवेदनशीलता के बारे में जागरूकता बढ़ाना बेहद ज़रूरी है, ताकि चिकित्सक और चिकित्सक अपने मरीज़ों में इस विशेषता को पहचान सकें और उनकी संवेदनशीलता के अनुसार उपचार तैयार कर सकें।" (आईएएनएस)
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