
स्टाफ रिपोर्टर
गुवाहाटी: अखिल असम छात्र संघ (आसू) के कार्यकर्ताओं ने राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और कट्टरपंथियों को वापस भेजने की अपनी माँग के समर्थन में राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया। साथ ही, उन्होंने असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों को आव्रजन एवं विदेशी (छूट) आदेश 2025 के दायरे से मुक्त करने की माँग भी की।
छात्र संघ ने असम और केंद्र सरकार को आगाह किया कि जब तक सरकार उनकी माँगें पूरी नहीं करती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। 20 सितंबर को आसू की क्षेत्रीय इकाइयाँ मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन करेंगी और 23 सितंबर को ज़िला इकाइयाँ सभी ज़िला मुख्यालयों में मशाल जुलूस निकालेंगी।
आसू अध्यक्ष उत्पल सरमा और महासचिव समीरन फुकोन ने कहा कि सरकार ने स्वीकार किया है कि कट्टरपंथी बांग्लादेशियों के साथ अवैध रूप से राज्य में घुस आए हैं, इसलिए केंद्र और राज्य सरकार को उन्हें असम से बाहर निकालने के लिए कदम उठाने होंगे।
आसू नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को बाहर निकालने के मुद्दे पर विरोधाभासी बयान दिए हैं। प्रधानमंत्री ने जनसांख्यिकी मिशन पर बात की और केंद्रीय गृह मंत्री ने असम आंदोलन के पक्ष में बात की, लेकिन उन्होंने असम पर आव्रजन और विदेशी (छूट) आदेश 2025 लागू कर दिया है। आसू नेताओं ने असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को इस आदेश और सीएए के दायरे से मुक्त करने की माँग उठाई।
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